केंद्र सरकार ‘स्मार्ट सिटी मिशन’ प्रोजेक्ट को बंद करने जा रही है। दिसंबर 2024 में इसका कार्यकाल समाप्त हो जाएगा। अब इसमें कोई फंड रिलीज नहीं होगा। भारत सरकार ने ‘सिटी 2.0’ के लिए मप्र से सिर्फ जबलपुर और उज्जैन का चयन किया है। यानी भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, सतना और सागर को अपना अस्तित्व बचाने के लिए खुद काम ढूंढना होगा।

विकास प्राधिकरणों की तरह ‘टाउन प्लानिंग स्कीम’ लेने का काम करके यह आगे बढ़ सकती हैं। मंत्रालय स्तर पर इसका होमवर्क हो चुका है। चूंकि विकास प्राधिकरणों की तरह भविष्य में काम करने का प्रावधान स्मार्ट सिटी के नियमों में शामिल है, इसलिए जल्द ही शासन इसके आदेश जारी करेगा। केंद्र सरकार भी जल्द ही 600 करोड़ रुपए बजट के साथ नेशनल अर्बन डिजिटल मिशन (एनयूडीएम) लांच कर रहा है। राज्य सरकार कोशिश कर रही है कि भोपाल-इंदौर समेत पांच स्मार्ट सिटी काे इसका काम दे दिया जाए।

इसके अलावा टाउन प्लानिंग स्कीम में निजी जमीन को 50-50% के अनुपात में डेवलप करने का काम भी वह करेगी। इसमें रोड, सीवरेज के साथ डेवलप जमीन में पचास फीसदी प्लॉटिंग के साथ भूमि निजी व्यक्ति के हवाले कर दी जाएगी। शेष स्मार्ट सिटी के पास रहेगी, वह इसका जो भी उपयोग करना चाहे, आगे जाकर करेगा। यहां बता दें कि 25 जून 2015 को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत मप्र के भोपाल, इंदौर और जबलपुर को स्मार्ट बनाने का मिशन शुरू हुआ था। दो साल बाद इसमें ग्वालियर, सतना, सागर और उज्जैन भी जुड़ गए।

स्मार्ट सिटी मिशन : क्या सात शहरों में ये काम हुए?

  • पर्याप्त बिजली तथा पानी की आपूर्ति
  • ठोस कचरे का प्रबंधन और स्वच्छता
  • कुशल शहरी गतिशीलता और सार्वजनिक परिवहन
  • मजबूत सूचना प्रौद्योगिकी कनेक्टिविटी और डिजिटलाइजेशन
  • सुशासन, विशेष रूप से ई-गवर्नेंस और नागरिक भागीदारी
  • टिकाऊ पर्यावरण
  • नागरिक सुरक्षा, विशेष रूप से महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों की सुरक्षा

सिंहस्थ के कारण उज्जैन दूसरे चरण में शामिल

केंद्र सरकार ने स्मार्ट सिटी मिशन को बंद करके ‘सिटी 2.0’ में हर राज्य से एक शहर चुनने की बात कही थी। इसमें जबलपुर का चयन हुआ। चूंकि उज्जैन में सिंहस्थ है, इसलिए यह भी ‘सिटी 2.0’ में शामिल हो गया। दूसरे राज्यों में सिर्फ एक शहर का चयन हुआ है।

मप्र की सात स्मार्ट सिटी में सिर्फ भोपाल-इंदौर ही पूरे बजट का इस्तेमाल कर पाए। बाकी की पांच स्मार्ट सिटी में 500 करोड़ से ज्यादा का बजट बचा हुआ है। चूंकि भोपाल-इंदौर के पास अचल संपत्तियां हैं, इसलिए इनका काम आगे भी चलता रह सकता है। केंद्र और राज्य से अभी तक स्मार्ट सिटी को 6 हजार 831 करोड़ रुपए का फंड रिलीज हुआ, जबकि 6315 करोड़ खर्च हो गए। सात शहरों की स्मार्ट सिटी के तहत 650 प्रोजेक्ट पर काम होना है। नगरीय विकास विभाग का दावा है कि 85 से 90% काम पूरे हो गए।

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