कांग्रेस पार्षदों ने आयुक्त को ज्ञापन दिया, भाजपा पार्षदों ने पीएचई अफसर को घेरा। रहवासियों ने घर में आ रहे गंदे पानी के फोटो अधिकारियों को भेजे। ऐसा पानी कब तक पीते रहेंगे। शर्म आने के बजाए अफसर ने फिर नया प्रयोग कर दिया। शिप्रा से कान्ह का पुराना पानी खाली किया जाएगा। फिर उसमें नर्मदा का पानी भरा जाएगा। यह पानी लोगों के घरों में पहुंचेगा तो समस्या नहीं आएगी। हकीकत यह है कि इस प्रक्रिया में ही पांच दिन से ज्यादा का समय लग जाएगा।
फिलहाल तो निगम के पीएचई विभाग ने जलप्रदाय के लिए शिप्रा का पानी 8 दिन से लेना बंद कर रखा है। कारण है उसका प्रदूषित होना। कान्ह का पानी त्रिवेणी के पास डेम से ओवरफ्लो होकर शिप्रा में मिल रहा है। जिसने शिप्रा को इतना प्रदूषित कर दिया है कि यह पानी पीना तो दूर कोई 10 मिनट भी पास में खड़े नहीं रह सकता। पीएचई की शिप्रा से पानी लेना भी अपनी मजबूरी है, क्योंकि शहर की सभी टंकियां गंभीर के साथ ही शिप्रा का पानी लेने से ही भर पाती है।
जब शिप्रा का पानी लेना बंद किया तो टंकियां भी भरना बंद हो गई। उज्जैन उत्तर के कुछ क्षेत्र और दक्षिण का लगभग पूरा क्षेत्र प्रभावित हो गया। कम प्रेशर से सप्लाई, कई क्षेत्रों में पानी नहीं पहुंचना और अलग-अलग क्षेत्रों से गंदे पानी की सप्लाई होने की शिकायतें बढ़ी तो कारण खोजा।
सामने आया कि प्रदूषित होने से शिप्रा का पानी नहीं लिया जा रहा है। पीएचई प्रभारी प्रकाश शर्मा भी समस्या को कई बार अधिकारियों के सामने रख चुके लेकिन किसी ने गंभीरता से नहीं लिया। शिकायतों का दौर बढ़ा तो निगम सभापति, कलेक्टर और निगम आयुक्त निरीक्षण पर पहुंचे। यहां दो नई व्यवस्था करने पर सहमति बनी है।