सिंहस्थ 2028 से पहले धार्मिक नगरी उज्जैन की क्षिप्रा नदी के पानी को निर्मल और आचमन लायक बनाने की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। इसके लिए 2175 कराेड़ रुपए खर्च होंगे । इसके लिए जल्द ही क्षिप्रा नदी प्राधिकरण का तो गठन होगा ही, साथ ही उन सभी क्षेत्रों को चिह्नित कर लिया गया है, जहां से गंदा पानी नदी में मिलता रहा है। उज्जैन, इंदौर, देवास और सांवेर में चार अलग-अलग सीवेज शोधन योजनाएं स्वीकृत हुई हैं।
अमृत-1 योजना के तहत उज्जैन शहर के लिए 438.10 करोड़ रुपए से सीवेज नेटवर्क बनाया जा रहा है। वहीं 92 एमएलडी क्षमता का एसटीपी का निर्माण कर सीवेज शोधन किया जा रहा है। इसके अलावा अमृत-2.0 में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में सीवेज नेटवर्क बनाने के लिए 476.14 करोड़ रुपए उज्जैन को मिलेंगे। इसके लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
नमामि गंगे योजना के तहत 92 करोड़ रुपए उज्जैन को अलग से मिल रहे हैं। ये पूरी राशि केंद्र सरकार दे रही है। इसमें 15 साल तक मेंटेनेंस और संचालन के काम किए जाएंगे। इसके तहत नालों के सीवर को टैप कर 24.38 एमएलडी क्षमता का सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाया जाना तय हुआ है।
क्षिप्रा में मिलता है दो नदियों का गंदा पानी
अब तक इंदौर की कान्ह और सरस्वती नदी का गंदा पानी क्षिप्रा में मिलता रहा है। इन नदियों के पानी को साफ करने के लिए ट्रीटमेंट प्लांट लगाए जा रहे हैं। इसके अलावा ऐसे स्थान भी चिन्हित किए जा रहे हैं, जो उज्जैन में ही हैं और वहीं से गंदा पानी क्षिप्रा नदी में मिलता है।
बीजेपी के संकल्प पत्र में क्षिप्रा को निर्मल और अविरल बनाने के लिए विस्तृत प्लानिंग की घोषणा भी की गई थी। इसके बाद नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने प्राधिकरण बनाने का खाका तकरीबन तैयार कर लिया है।
इंदौर में खर्च होंगे 1079 करोड़
इंदौर शहर में अमृत-2.0 योजना में 568 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। इंदौर को नमामि गंगे योजना में 511 करोड़ की योजना मिली है। इन योजनाओं के पूरा होने पर इंदौर शहर से निकलने वाला सीवेज मापदंडों के अनुरूप ट्रीट किया जाने लगेगा।
ऐसे ही देवास शहर को अमृत-2.0 के तहत 68.19 करोड़ रुपए मिलेंगे। यानी इस शहर का सीवेज भी ट्रीट होने के बाद शोधित जल ही आगे बढ़ेगा। सांवेर शहर के लिए 21.55 करोड़ रुपए की विशेष निधि योजना राज्य सरकार की ओर से स्वीकृत हुई है। ये चारों प्रोजेक्ट वर्ष 2027 तक पूरे कर लिए जाने की प्लानिंग है।