सेवा भारती द्वारा जन सहयोग से संचालित इस आदिवासी कन्या छात्रावास में एक कन्या को पढ़ाने, रहने आदि पर 15,000 रुपए व्यय आता है। वनवासी कन्या छात्रावास उज्जैन मैं वरिष्ठजन बी के कुमावत ने भारतीय संस्कृति के अनुरूप अपना जन्मदिवस अनूठे अंदाज में मनाया। उन्होंने परिवार सहित वनवासी कन्या छात्रावास पहुंचकर छात्राओं के बीच न केवल अपना जन्मदिवस मनाया अपितु वहां अध्ययनरत वनवासी कन्याओं के 1 वर्ष की शिक्षा की जिम्मेदारी भी उठाई। इस कार्य में अन्य वरिष्ठजनों ने भी सहयोग की घोषणा की। पाणिनी संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति एवं पूर्व संभागायुक्त डॉ.मोहन गुप्त ने कहा कि सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं है। दूसरों को खुशी देकर ही असली खुशी मिलती है। यही भारतीय संस्कृति है। बी के कुमावत अपने जन्मदिवस पर छात्राओं के बीच आकर खुशियां बांटते हैं, यह जन्मदिवस की सार्थकता है। छात्रावास की अधीक्षिका मैडम प्रीति तेलंग दिनरात आदिवासी कन्याओं की देखभाल करती हैं, उनकी सेवा भी सराहनीय है। डॉ मोहन गुप्त ने भी कन्या छात्रावास की एक बच्ची का एक वर्ष का अध्ययन व्यय उठाने की घोषणा की ।