अंकपात मार्ग स्थित प्राचीन गोवर्धन सागर की जमीन को अतिक्रमण मुक्त कराने की मुहीम शुरू की गई है। बुधवार सुबह नगर निगम, राजस्व विभाग और पुलिस का संयुक्त अमला मशीनों के साथ यहां पहुंचा और गोवर्धन सागर के किनारे पर लगी गुमटियों को हटाने की शुरूआत की। इस दौरान खासा हंगामा भी हुआ। सुबह करीब 7 बजे ही नगर निगम और राजस्व की टीम गोवर्धन सागर पर पहुंच गई थी। गोवर्धन सागर की जमीन पर कब्जा कर गुमटियां संचालित करने वाले लोगों को देर रात ही नोटिस जारी कर दिए गए थे। सुबह से दुकानों का सामान खाली कराने की शुरूआत की गई। बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स की मौजूदगी के बीच दुकानदारों ने खुद ही सामान समेटना शुरू कर दिया।

गोवर्धन सागर की जमीन पर पिछले कई सालों से देव प्रतिमाएं बनाने वाले ने भी शेड डालकर कब्जा किया हुआ था। सुबह जब सरकारी कर्मचारियों की टीम शेड तोड़ने पहुंची तो इस परिवार के सदस्य शेड के भीतर जाकर बैठ गए और कार्यवाही का विरोध करने लगे। परिवार के एक युवा सदस्य को पुलिसकर्मियों ने खींचकर जबरन गाड़ी में बैठा दिया और कोतवाली थाने भेज दिया। इसके बाद महिला व पुरूष को भी बलात बाहर निकालकर टीन शेड हटा दिया। 20 से ज्यादा गुमटिया और 7 मकान हटाए जाना है।गोवर्धन सागर की जमीन पर चेरिटेबल अस्पताल के ठीक सामने से बुधवार सुबह 20 से ज्यादा गुमटियां हटाई गई है। इनमें से कई लोग यहां जमीन की रजिस्ट्री होने का दावा कर रहे थे। हालांकि प्रशासनिक अधिकारियों ने एक नहीं सुनी।

अगस्त में एनजीटी ने दिया था फैसला
इसी साल अगस्त महीने में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल(एनजीटी) की बैंच ने गोवर्धन सागर तालाब की भूमि के मामले में राजस्व विभाग के पक्ष में फैसला दिया है। 2015 में मंथन परमार्थिक न्यास के बाकिरअली रंगवाला की तरफ से एनजीटी में याचिका दायर की गई थी। एनजीटी ने गोवर्धन सागर की 36 बीघा 18 बिस्वा जमीन को सरकारी घोषित किया है। इस फैसले में 1927 के रियासतकालीन राजस्व रिकार्ड की अहम भूमिका रही। गोवर्धन सागर फिलहाल लगभग 27 बीघा जमीन पर है, इसकी शेष जमीन पर अवैध कब्जा हो चुका है।

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