भारत की सबसे बड़ी डाईबीटीज़ संस्था रिसर्च सोसायटी एंड स्टडीज ऑफ़ डाईबीटीज़ इन इंडिया की मध्यप्रदेश इकाई का सम्मलेन उज्जैन में आयोजित किया गया जिसमें लगभग साडे 300 डॉक्टर 15 साल बाद पुनः फिजिशियन एक साथ एकत्रित हुए आयोजन समिति के अध्यक्ष प्रोफ. डॉ. विजय गर्ग ने बताया उज्जैन में करीब 1 लाख लोग डाईबीटीज़ से ग्रसित हैं, पूरी भारतवर्ष में 6 से 7 करोड़ लोग | डाईबीटीज़ एक दीमक जैसी बीमारी है जो शरीर के हर अंग को नुकसान पहुचाती है, 4 गुना ज्यादा दिल की बीमारी 3 गुना ज्यादा लकवा, किडनी, पैरों की बीमारी और आँखों की बिमारी होती है, कई लोगो को यह मालूम नहीं पड़ता की उनको डाईबीटीज़ है और उनके शरीर को नुकसान कर देती है,
प्रोफ. डॉ. विजय गर्ग ने बताया नए अनुशंधानो से आप युवाओं में डाईबीटीज़ को बाय बाय कर सकते है, साथ ही डाईबीटीज़ को दिनचर्या परिवर्तन से सामन्य व्यवस्था में भी ला सकते हैं प्रमुख चिंता है की 15% लोग जिनकी शुगर थोड़ीसी बड़ी है उनको पहचानना, इन लोगो में भी डाईबीटीज़ का खतरा उतना ही है, जितना डाईबीटीज़ की बीमारी में है इसलिए जरुरी है हर मनुष्य अपने रक्त में शक्कर की जाँच 40 वर्ष की उम्र के बाद प्रति वर्ष कराए 15 वर्ष के पश्चात हर 5 साल में 1 बार शक्कर की बीमारी से ग्रसित लोगो को अपना ब्लड प्रेशर, खुन में चर्बी की मात्रा, अपना वजन नियंत्रित करना चाहिए एंव प्रतिदिन कसरत, योगा, ध्यान भी करना चाहिए, तंबाखू सिगरेट का बहिस्कार । आयोजन समिति के सचिव प्रोफ. डॉ. आशीष शर्मा ने बताया भारत प्रसिद्ध 6 पदम् श्री मुख्य रूप से इसमें प्रमुख है डॉ. शंशाक जोशी मुम्बई, डॉ. अनूप मिश्र दिल्ली, डॉ. वी मोहन चेन्नई, डॉ, वेंकट रमण अमेरिका, पदमश्री डॉ. मनचंदा साथ ही भारत प्रसिद्द उक्तरक्त चाप विशेषज्ञ डॉ. मुनथान त्रिचुर एंव डॉ. मक्कर दिल्ली है संस्था के अखिलभारतीय अध्यक्ष एंव करीब अन्य 55 राष्ट्रिय एंव प्रदेशी अपना शोध पत्र गोष्ठी एंव अतिथि उद्बोधन देंगे