उज्जैन। देव प्रबोधिनी एकादशी 4 नवंबर से अखिल भारतीय कालिदास समारोह का आयोजन शुरू होगा। सात दिनों तक चलने वाले इस समारोह में विभिन्न साहित्यिक व सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। समारोह के शुभारंभ के एक दिन पहले गुरूवार को सुबह शहर से मंगल कलश यात्रा निकली। यात्रा में लोक कलाकारों की प्रस्तुति ने शहरवासियों का मन मोह लिया। रामघाट व महाकाल मंदिर में पूजन के बाद शुरू हुई कलश यात्रा विभिन्न मार्गो से होकर कालिदास अकादमी पहुंची। यहां पर मंगल कलश की स्थापना की गई।

महाकवि कालिदास की स्मृति को बनाये रखने के लिए उज्जैन में अखिल भारतीय कालिदास समारोह का आयोजन किया जाता है। देव प्रबोधिनी एकादशी से सात दिनों तक न केवल देश भर के प्रसिद्ध विद्वान सारस्वत कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे वहीं देश भर के कलाकारों का भी समागम सप्त दिवसीय आयोजन में होगा। गुरूवार की सुबह शिप्रा तट से मंगल कलश यात्रा निकाली गई। यात्रा शिप्रा तट से सबसे पहले महाकाल मंदिर पहुंची, जहां पूजन अर्चन कर, समारोह की सफलता के लिए प्रार्थना की गई। श्री महाकालेश्वर मंदिर में पूजन के बाद शुरू हुई कलश यात्रा में गुजरात के लोक कलाकारों के दल ने नितिन भाई दवे के मार्गदर्शन में और झाबुआ के हिंदूसिंह अमलीयार के पारम्परिक लोक दल द्वारा लोकनृत्य की प्रस्तुति देते हुए चल रहे थे। वहीं संस्कार भारती के रांगोली दल द्वारा मार्ग में सुन्दर रांगोली का निर्माण किया जा रहा था। कलश यात्रा में श्रीपाद जोशी, यात्रा संयोजक वासुदेव केसवानी, कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार पांडे, प्रभारी निदेशक डॉ. संतोष पंड्या, सचिव प्रो.शैलेंद्र कुमार शर्मा सहित केन्द्रीय समिति के सदस्य, स्थानीय समिति के सदस्य, गणमान्य शामिल हुए।

महाकाल का ध्वज भी शामिल

श्री महाकालेश्वर मंदिर से कलश यात्रा में बाबा महाकाल का चांदी का ध्वज भी शामिल किया गया। इसके अलावा बैंड बाजे, ढोल के साथ ही स्कूली विद्यार्थी, एनएसएस के छात्र, लोक कलाकार, बग्घी, कडाबीन, रंगकर्मियों के दलों द्वारा वाहनों पर महाकवि कालिदास की कृति विक्रमोर्वशीय पर आधारित झाँकियां, महाराजा विक्रमादित्य के नवरत्नों के चित्र वाहन पर शामिल थे। वहीं गुजरात और झाबुआ के कलाकारों ने प्रस्तुति से मन मोह लिया।

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