उज्जैन भैरव अष्टमी पर आज गुरुवार को विश्व प्रसिद्ध काल भेरव मन्दिर से भगवान भेरव की शाही सवारी निकाली गई। भैरव को महाकाल का सेनापति माना जाता है और महाकल मंदिर की सवारी की तर्ज पर ही भगवन काल भैरव भी अपने भक्तो को दर्शन देने निकलते है . सवारी मंदिर से प्रारंभ होकर केन्द्रीय जेल पहुंचती है यहाँ केदियो व जेलर ने पूजन अर्चन किया। बाबा की सवारी को देखने के लिए लोगो का हुजूम सडको पर देखा गया। भैरव गड क्षेत्र में दर्शन देने के बाद वापस काल भैरव मंदिर पंहुचती है।
धर्म शास्त्रों के अनुसार भेरव भगवान शंकर के कोतवाल हे। भगवान महाकाल को उज्जैन का राजा माना जाता हे तो यहाँ भगवान भेरव को क्षेत्रपाल के रूप में पूजा जाता हे। मान्यता हे की जिस प्रकार भगवान महाकाल अपनी प्रजा का हाल जानने के लिए सवारी के रूप में नगर भ्रमण पर निकलते हे उसी प्रकार भेरव भगवान भी क्षेत्रपाल की भूमिका निभाते हुवे प्रजा की रक्षा के लिए वर्ष में दो बार नगर भ्रमण पर निकलते हे। यहाँ भेरव की वर्ष में दो सवारी निकलती हे।
बाबा कालभैरव को सिंधिया घराने की पगड़ी पहनाई गई । पूजा के बाद सवारी निकाली गई । यहाँ निकलने वाली सवारी देखते ही बन रही थी । सवारी के आगे पुलिस के जवान और उसके बाद हाथो में बन्दुक लिए पुलिस की बटालियन चल रही थी । सवारी केन्द्रीय भैरव गड जेल भी जाती है जंहा सवारी के पालकी का पूजन जेल अधीक्षक ने किया फिर जेल के अन्दर कैदियों ने भी पूजन किया . सवारी राजकीय ठाट बाट के साथ गाजे बाजे से निकली यह सवारी दो किलो मीटर तक भ्रमण करने के बाद शिप्रा नदी के किनारे स्थित सिद्धवट मंदिर पर पहुची जहाँ पूजन अर्चन के बाद पुनः मंदिर लौटती है।