जहरीले सांप का नाम सुनते ही लोग घबरा जाते हैं। इनकी दुनिया भी रहस्यमयी है। इन्हीं रहस्यों के बारे में जानने के लिए उज्जैन में सर्पोटोरियम यानी स्नेक इन्फोटेन्मेंट पार्क खुला है। यहां दुनियाभर के सांपों की 4600 प्रजातियों के बारे में रोचक जानकारियां मिल सकेंगी। बताया जा रहा है कि यह अपनी तरह का देश का पहला ऐसा पार्क है।

इसका उद्देश्य सांपों के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी उपलब्ध कराना है। यहां शोधार्थी सांपों पर रिसर्च भी कर सकेंगे। यहां सांपों के रहन-सहन, व्यवहार, क्या खाते हैं, क्या नहीं, कौन से सांप जहरीले होते हैं, उनका विकास आदि जानकारी ऑडियो और विजुअल के जरिए दी जाएगी।

पार्क 5 एकड़ जमीन पर बसंत विहार इलाके में बनाया गया है। 9 अप्रैल को इसकी औपचारिक शुरुआत मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव करने वाले थे, लेकिन आचार संहिता के चलते ऐसा नहीं हो सकेगा। इस कारण फिलहाल अनौपचारिक तरीके से पार्क की शुरुआत कर दी गई है। पहले चरण की लागत करीब दो करोड़ रुपए आई है।

स्नेक पार्क के लिए उज्जैन ही क्यों
सर्प अनुसंधान संगठन के संचालक मुकेश इंगले बताते हैं कि स्नेक पार्क के लिए उज्जैन को इसलिए चुना गया, क्योंकि यह शहर महाकाल की नगरी है। सर्प महाकाल का सबसे बड़ा आभूषण है। इसके चलते लोग इससे धर्म को भी जोड़कर जानकरी लेने पहुंचेंगे।

सांपों के प्रति डर दूर करने की कोशिश
डॉ. इंगले ने बताया कि लोगों के मन में सांप के प्रति बैठे डर को दूर करने का प्रयास करेंगे। अधिकांश लोगों को क्षेत्र में पाए जाने वाले सांपों के बारे में जानकारी नहीं होती कि बहुत कम सांप जहरीले होते हैं। इस कारण लोग उन्हें देखते ही मार देते हैं। पिछले कई सालों में सांपों की जनसंख्या कम होती जा रही है।पार्क को तीन भागों में बांटा
पार्क को तीन भागों में बांटा गया है। पहले भाग में उज्जैन और आसपास पाए जाने वाले सांपों का विवरण मिलेगा। दूसरे में जिले में पाई जाने वाली सांपों की करीब 23 प्रजाति की जानकारी मिलेगी। वहीं, तीसरे में मध्य भारत में पाए जाने वाले सांपों की जानकारी रोचक तरीके से दी जाएगी।अंदर जाते ही जंगल का माहौल
स्नेक पार्क में अंदर जंगल जैसा माहौल बनाया गया है। इसे देश-विदेश के अलग-अलग विशेषज्ञों की सलाह के बाद डिजाइन किया गया है। सांपों की जानकारी और डिस्प्ले के साथ जंगल का माहौल को भी क्रिएट किया गया है। इसमें वॉल डेकोरेशन के साथ म्यूजियम की तर्ज पर लाइटिंग की गई है।

यह सब देखने को मिलेगा
इंटरपीटिशन सेंटर- विशाल डिजिटल वाल पर सांपों से जुड़ी जानकारी जैसे उनका नाम, खान-पान, मिलने का क्षेत्र, विशेषता, पहचान, आदत आदि मिलेगी। सांपों से बचाव आदि के तरीके बताएंगे।

हार्पेटोलॉजिकल रिसर्च लायब्रेरी- सरीसृप पर आधारित रिसर्च सेंटर रहेगा। 5 घंटे से 6 महीने की अवधि का सर्टिफिकेट व डिप्लोमा कोर्स पढ़ाया जाएगा। विक्रम विवि से एमओयू किया जा रहा है। इसे ग्रीन स्कील डेवपलमेंट प्रोग्राम के अंतर्गत शुरू करने की योजना है।

ट्रेनिंग सेंटर- सर्पदंश से होने वाली मृत्यु व सांपों की रक्षा के उद्देश्य से वर्क फोर्स तैयार करेंगे इसमें मेडिकल स्टाफ, वन विभाग कर्मचारी आदि को जरूरी ट्रेनिंग दी जाएगी। केंद्र की ओर से संबंधित विभागों को पत्र भी भेजे गए हैं।

रेपटाइल हाउस- दूसरे चरण में सांपों के साथ ही छिपकली, घड़ियाल, मगरमच्छ, कुछए रहेंगे ,जिन्हें आगंतुक देख सकेंगे। स्नेक इनफोटेनमेंट पार्क सर्पों सहित सरिसृप पर आधारित ऐसा केंद्र होगा जहां इनकी एनाटॉमी, फिजियोलॉजी व मायथोलॉजी आदि की प्रभावी तरीके से विस्तृत जानकारी दी जाएगी।

दूसरे चरण में बनेगा रेप्टाइल गार्डन
दूसरे चरण में यहां रेप्टाइल गार्डन में 18 प्रजाति के सांप देख पाएंगे। इनमें किंग कोबरा भी होगा। इसके साथ विदेशी प्रजाति के सांप भी देखने को मिलेंगे। सांप के साथ क्रोकोडाइल भी गार्डन में रहेगा। इसके लिए सेन्ट्रल जू अथॉरिटी से परमिशन मिल गई है। करीब एक साल में रेप्टाइल गार्डन भी बनकर तैयार हो जाएगा। इसकी लागत करीब एक करोड़ रुपए आएगी।

यह भी जानिए
दुनियाभर में सांपों की की 4600 से अधिक प्रजातियां हैं। भारत में 376 प्रजातियां और मध्यप्रदेश में 46 प्रजातियां पाई जाती हैं। सबसे जहरीला सांप कामन करेत हैं, जो मध्यप्रदेश में भी पाया जाता है। इनकी अधिकतम लंबाई तीन फीट होती है, जो अमूमन रात में ही देखे गए हैं।

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