पूरे भारत में छठ बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है। इसी क्रम में उज्जैन की शिप्रा नदी पर भी बड़ी संख्या में महिलाएं सूर्य को अर्ध्य देने के लिए पहुंची। इस दौरान महिलाओं ने नदी में खड़े होकर डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया और पूजन कर सुख समृद्धि की कामना की। छठ पर्व की शुरुआत नहाय खाय के साथ होती है । इसके बाद खरना, अर्घ्य और पारण किया जाता है। आज 30 अक्टूबर को छठ के तीसरे दिन संध्या में अर्घ्य दिया गया। इस दौरान व्रती महिलाओं ने सूर्य देव की अराधना की।इस दौरान शिप्रा नदी के घाट पर प्रशासन द्वारा सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे

उज्जैन में रविवार को छठ पूजा का पर्व धूमधाम से मनाया गया इस दौरान शिप्रा नदी पर बड़ी संख्या में महिलाओं की भीड़ दिखाई दी सुबह होते ही उगते सूर्य को अर्घ देने महिलाएं राम घाट पहुंची हर साल कार्तिक शुक्ल षष्ठी को मनाया जाने वाला छठ पर्व मुख्य रूप से बिहार झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है महिलाएं पर्व के दौरान 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखती है सूर्य देव और छठी मैया की पूजा कर उन्हें देखकर पूजन करती हैं मान्यता है कि छठ पूजा करने से हर मनोकामना पूर्ण होती है छठी मैया संतानों की रक्षा कर दीर्घायु प्रदान करती है और सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह व्रत खासकर संतानों के लिए रखा जाता है।
सनातन धर्म में हर पर्व की बड़ी मान्यता है। छठ का पर्व हर राज्य में बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है। छठ पूजा को सूर्य षष्ठी, छठ, छठी और छठ पर्व, डाला पूजा, डाला छठ के नाम से भी जाना जाता है। इस बार इस पर्व की शुरुआत 28 अक्टूबर 2022, शुक्रवार को नहाय खाय की परंपरा से हुई।

उसके बाद 29 अक्टूबर को खरना किया गया। 30 अक्टूबर को डूबते हुए सूर्य की पूजा की गई। व्रती महिलाओं ने खरना की रस्म पूरी करने के बाद कल शाम छठ के लिए 36 घंटे के कठिन व्रत की शुरुआत कर दी थी। आज छठ पर्व के दौरान व्रती महिलाओ ने अपने परिवार के साथ डूबते सूर्य को शिप्रा नदी और घाट में खड़े होकर अर्घ्य दिया

 

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