अतिथी के रूप में अरविंद जैन चंदेश मंडोलिया वंदना गुप्ता सविता आचार्य तथा ब्रम्हाकुमारी उषा दीदी मंजू दीदी निरुपमा बहन शामिल हुए कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन व विषय पर संबंधित नृत्य कुमारी अक्षिता ने किया अरविंद जैन ने कहा कि वर्तमान समय समाज में घर में स्वयं में प्रेम की आवश्यकता है यदि आपके अंदर दया प्रेम भाईचारा नहीं है तो मैं मानता हूं कि आप मानव ही नहीं है आज पति पत्नी पिता-पुत्र सभी एक दूसरे के विपरीत खड़े हैं लेकिन पहले बड़ा परिवार सुखी परिवार होता था और अभी हम दो हमारे दो यह हमारे एक है फिर भी सुखी नहीं है प्रेम नहीं है प्रेम एक ऐसी अनुभूति है जिसको शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है

 

चद्रेश मंडलोई विधि सहायक अधिकारी ने कहा नवरात्रि पर्व ही वह उत्सव है जो माता से प्रेम पाया जा सकता है प्रेम की अनुभूति व्यापक है अपरिभाषित है प्रेम की अनुभूति शारीरिक रूप से नहीं किंतु मानसिक और आध्यात्मिक प्रेम से भी होता है जरा सोचिए अगर इस संसार में प्रेम नहीं होता तो क्या होता। और जहां लोग प्रेम से रहते हैं वहां संस्कार पलने बढ़ने लगते है। ब्रह्माकुमारी संस्था की तारीफ करते हुए कहा कि प्रेम की व्याख्या यह ब्रह्माकुमारी दूरियां ही बता सकती हैं और यह यही कार्य कर रही है प्रेम को नापने का कोई ग्राफ नहीं होता ईश्वर जब तक कायम है तब तक इस संसार में प्रेम रहेगा सविता आचार्य चित्र कलाकार प्रेम हमारे जीवन में तभी संभव है जब क्षमा करना माफ कर देना आगे बढ़ाना जब यह हमारे जीवन में शामिल हो जाएगा ब्रम्हाकुमारी निरुपमा बहन प्रमुख वक्ता प्रेम की शक्ति प्रेम मैं जब मोह का त्याग त्याग होगा वही सच्चा प्रेम होगा जिसे कहते हैं समर्पण जो बांधे वह मोह है जो स्वतंत्र छोड़ दे वह प्रेम है जब प्रेम पर मोह भारी हो जाता है तो प्रेम प्रेम नहीं रहता आज हर माता-पिता चाहते हैं कि हमारा बच्चा हमसे दूर ना हो क्योंकि वह है और वह यह नहीं जानते कि माता-पिता जन्मदाता हैं भाग्यविधाता नहीं जहां प्रेम होता है वहां ब्रह्मांड के समस्त शक्तियों को हम उपयोग करते हैं प्रेम दुनिया की सकारात्मक शक्ति है प्रेम खोजने से नहीं मिलता प्रेम तो हमारे अंदर है वंदना गुप्ता कालिदास अकैडमी कॉलेज प्रिंसिपल ने बताया कि प्रेम की शक्ति जीवन में अति आवश्यक है खुद से प्रेम करने का मतलब यह नहीं कि दूसरों का उपहास करें प्रेम का अर्थ पाना नहीं देना है हम प्रेम में स्वतंत्रता तो दे देते हैं लेकिन उस संबंध को एक पतंग की तरह स्वतंत्र करते हैं और उसकी डोर अपने हाथ में थामें रखते हैं प्रेम हमारा अधिकार नहीं है प्रेम तो हमारे भीतर है।

राजयोगिनी वरिष्ठ शिक्षिका ब्रम्हाकुमारी उषा दीदी जी ने प्रेम के बारे में बताया कि आज इस संसार में प्रेम का व्यवहार सभी करना चाहते हैं प्रेम से बात सभी करना चाहते हैं लेकिन प्रेम का व्यवहार करने की किसी में शक्ति नहीं है कौन नहीं चाहता कि हम प्रेम से रहें प्रेम से बोले यही शक्ति स्वयं परमपिता परमात्मा आकर हमें बताते हैं जो राज्यों के माध्यम से प्राप्त होता है आत्मा का मूल गुण हैं प्रेम है इसीलिए हम दूसरों से अपेक्षा रखते हैं कि लोग हमें प्यार करें भले हम कटुता से व्यवहार करते हैं लेकिन फिर भी चाहते हैं कि प्रेम मिले।
कार्यक्रम का अंत परमात्मा के शुकराने से हुआ।

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