उमा-सांझी उत्सव समापन पर महाकाल मंदिर से निकली उमा पार्वती की सवारी। भक्तों का हाल जानने चांदी की पालकी में सवार होकर माता उमा निकलीं। देवी पार्वती की सवारी साल में केवल एक बार आश्विन कृष्ण की दूज के दिन निकलती है। श्रद्धालुओं ने सवारी में माता पार्वती के दर्शन का लाभ लिया।

महाकाल मंदिर से मंगलवार को पार्वती माता की सवारी निकली। महाकाल सवारी की तरह उमा माता की सवारी में आगे घुड़सवार दल, शासकीय पुलिस बैंड, पालकी के साथ पंडे-पुजारियों का दल शामिल हुए। सवारी मंदिर से शुरू होकर तोपखाना, दौलतगंज, नई सड़क, कंठाल, छत्री चौक, गोपाल मंदिर, गुदरी, कार्तिक चौक, गणगौर दरवाजा, रामानुजकोट होकर रामघाट पहुची, जहां पण्डे पुजारी ने पूजन-अर्चन किया।

साल में एक बार निकलती है माता की सवारी

नदी पर पूजन के बाद सवारी महाकाल मंदिर के रवाना हुई। ज्योर्तिलिंग महाकाल मंदिर में अश्विन कृष्ण एकादशी 21 सितंबर से पांच दिवसीय उमा सांझी महोत्सव की शुरुआत हुई। पांच दिन तक मंदिर के सभामंडप में रंगोली मुखोटे और झाकियां सजाई गई। महाकाल मंदिर में प्रतिवर्ष अश्विन कृष्ण एकादशी से अमावस्या तक पांच दिन उमा सांझी उत्सव मनाया गया। अश्विन शुक्ल द्वितीया पर साल में एक बार उमा माता की सवारी निकलती है। मंगलवार को शाम 4 बजे महाकाल मंदिर से पालकी में सवार होकर माता पार्वती रजत पालकी में सवार होकर मोक्षदायिनी शिप्रा के तट पर सांझी विसर्जित करने निकली। महाकाल भगवान की तर्ज पर निकलने वाली सवारी में उमा माता का पूजन कर पालकी में विराजित करवाया गया, जिसके बाद सवारी शिप्रा नदी के लिए रवाना हुई। नदी पर पूजन के पश्चात सवारी शाम 6 बजे तक मंदिर लौटी।

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