उच्च शिक्षा अनुदान आयोग (यूजीसी) ने विक्रम विश्वविद्यालय को नैक मूल्यांकन में बी डबल प्लस ग्रेड प्रदान की हैं। यह गिरावट विश्वविद्यालय की स्थिति को लेकर चिंता का विषय है। दरअसल पूर्व में विवि ए ग्रेड प्रदान की गई थी। ग्रेड कम होने के संबंध में विवि कुलपति का कहना है कि ऐसा नई प्रक्रिया के कारण हुआ है। हम ग्रेड से संतुष्ट नहीं हैं और रिव्यू के लिए अपील करेंगे। विक्रम विश्वविद्यालय में नैक मूल्यांकन के लिए पांच साल बाद यूजीसी का दल आया था। तीन दिन तक विवि का निरीक्षण और मूल्यांकन करने के बाद टीम की रिपोर्ट के बाद यूजीसी ने विक्रम विवि को बी डबल प्लस- ग्रेड दी है। एक तरह से यह ग्रेड में गिरावट है। जानकारों के अनुसार यह ग्रेड का डिमोशन ही है। हालांकि विक्रम विवि के कुलपति इस बात से सहमत नहीं है कि विवि की ग्रेड की डिमोशन हुआ है। नेशनल असेसमेंट एंड एक्रिडेशन काउंसिल (नैक) एक ऐसा संस्थान हैं जो यूजीसी के अंतर्गत कार्य कर उच्च शिक्षा के संस्थानों का आंकलन एवं प्रत्यायन का कार्य करती हैं। इसी की रिपोर्ट और ग्रेड के आधार पर उच्च शैक्षणिक संस्था और विश्वविद्यालयों की गुणवत्ता के मापदंड तय होते हैं। विकास के लिए अनुदान और नए पाठ्यक्रमों की अनुमति नैक के निर्धारित मानक पूरे करने पर मिलती हैं। डॉ. अखिलेश पांडेय, कुलपति विक्रम विवि के अनुसार यूजीसी ने विश्वविद्यालयों को ग्रेड प्रदान करने की अपनी प्रक्रिया में बदलाव किया है। इसके तहत नैक टीम के प्रारंभिक मूल्यांकन के आधार पर ग्रेड प्रदान की गई हैं। नई प्रक्रिया में ग्रेड को लेकर हम क्लेम करने के साथ-साथ रिव्यू एप्लीकेशन यूजीसी के समक्ष फाईल करेंगे। ग्रेड के साथ यूजीसी की रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद रिव्यू क्लेम किया जाएगा। इसके लिए 54 दिन की अवधि है।

 

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