25 मई को सूर्य का रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश हुआ है। इसके साथ ही नौतपा भी शुरू हो गया है। ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर मध्य रात्रि उपरांत सूर्य ग्रह का रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश होगा। रोहिणी नक्षत्र वृषभ राशि की कक्षा में आता है। वृषभ राशि का आधिपत्य शुक्र के पास में है और ग्रह गोचर में शुक्र वृषभ राशि पर ही गोचरस्थ है। यह एक विशेष स्थिति मानी जाती है। सूर्य के रोहिणी में 9 दिन का अलग-अलग प्रभाव मौसम के बदलाव के रूप में दिखाई देगा। कभी तपिश-कभी उमस और कभी कुछ स्थानों में पानी गिरने की स्थितियां सूर्य की रोहिणी के कालखंड में दिखाई देगी।
पं. अमर डिब्बेवाला ने बताया कि खगोलीय मान्यता भी है कि सूर्य के आरंभ का अनुक्रम जब रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश की स्थिति में रहता है तो कक्षीय अनुक्रम से देखने पर 9 दिन का एक साइकिल बनता है। यह साइकिल विशेष रूप से जलवायु पर प्रभाव डालता है, इसके अलग-अलग वेरिएशन सामने आते है। हालांकि नौतपा हमारे यहां अधिक गर्मी का संकेत माना जाता है, किंतु खगोलीय परिवर्तन एवं सूर्य की बदलती परिस्थितियों का विशेष प्रभाव ही मौसम के बदलाव में सहायक होता है। इसका पृथ्वी पर उपस्थित सामुद्रिक जल से सीधा संबंध होता है और यह पूर्वोत्तर दिशा से संबंधित विक्षोभ को तैयार करता है, जिसके कारण दक्षिण पश्चिम विक्षोभ के प्रभाव से वर्षा ऋतु होती है। तीन महीनों का जो साइकिल तैयार होता है वह नौतपा के खास नौ दिनों में ही अपने प्रभाव को दर्शाता है। इसी सूर्य के रोहिणी के प्रभाव से वर्षा ऋतु का चक्र तैयार होता है।
ग्रहों की युति भी मौसम को करेगी प्रभावित
संयोग से ग्रह गोचर में भी चार ग्रहों की युति बन रही है। जिसमें सूर्य, बुध, गुरु और शुक्र यह चार ग्रह विद्यमान रहेंगे। हालांकि बुध ग्रह का वृषभ राशि में परिवर्तन 30 मई को होगा, किंतु पहले से तीन ग्रहों की स्थिति सूर्य गुरु शुक्र की युति वृषभ पर गोचर करेगी इस दृष्टिकोण से उमस घबराहट बेचेनी वाला वातावरण भी इस दौरान तैयार हो सकता है। बुध मौसम का कारक ग्रह है यदि शुक्र के साथ बैठता है तो बीच-बीच में मौसम की ठंडक और ठंडी हवा या कुछ स्थानों पर बारिश की स्थिति संतुलित करने का प्रयास करेगी।
वर्षा ऋतु के लिए स्थिति श्रेष्ठ
वर्ष भर में छह ऋतु आती है, उनमें से वर्षा ऋतु का अपना विशेष महत्व है। सूर्य का वृषभ राशि में गोचर करना और रोहिणी नक्षत्र के पास पहुंचना यह एक विशेष प्रकार की जलवायु की स्थिति मानी जाती है। साइंटिफिक गणना के आधार पर भी देखें तो इसका एक अलग ही प्रकार का आकार सामने आता है। कुल मिलाकर के जो ग्रहों की स्थितियां हैं और जो नक्षत्र का संचरण है उसके आधार पर इस बार वर्षा की स्थिति श्रेष्ठ रहेगी। कुछ स्थानों पर खंड वृष्टि कुछ पर अति वृष्टि के भी योग बनेंगे, किंतु औसत की स्थिति से बात करें तो वर्षा की स्थिति सामान्य से बेहतर होगी। इस बार रोहिणी का निवास समुद्र के तट पर है। समय का निवास रजक (धोबी) के घर पर है। समय का वाहन वृषभ है। सामान्य से बेहतर वर्षा होगी किंतु कहीं-कहीं खण्ड वृष्टि और अतिवृष्टि भी होगी।