शुक्रवार को आई एम ए से जुड़े करीब 450 डॉक्टर ने अपनी ओपीडी सेवा बन्द रखी,,जिसमे निजी क्लिनिक नर्सिंग होम आदि बन्द रहे, केवल इमरजेंसी केस देखे गए वंही कोरोना के मरीजो को उपचार दिया गया।

टाॅवर चौक पर शहर के सभी डाॅक्टरों ने केन्द्र सरकार द्वारा लाए जा रहे अध्यादेश का विरोध प्रदर्शन किया। डाॅक्टरों ने सरकार से आयुवैदिक डाॅक्टरों को एलोपैथी प्रेक्टिस करने के प्रस्ताव को वापस लेने की मांग की है। केंद्र सरकार द्वारा लगातार कई तरह के ऐसे बिल लाए जाते हैं जिसका देश भर में विरोध होता है। लेकिन इस बार विरोध प्रदर्शन करने वाले आम लोग नहीं बल्कि डॉक्टर हैं। दरअसल केंद्र सरकार आयुष मंत्रालय के द्वारा एक अध्यादेश ला रही है। जिसके तहत आयुर्वेदिक डॉक्टरों को भी एलोपैथी की प्रैक्टिस करने की अनुमति दी जाएगी। ताकि देश में डॉक्टरों की संख्या बढ़ सके। साथ ही आम व्यक्ति और ग्रामीण क्षेत्र तक स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंच सके। ऐसे में ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन के विरोध के बाद अब डॉक्टर सड़कों पर उतर गए हैं। टावर चौक पर शहर के सभी डॉक्टर एकत्रित हुए और केंद्र सरकार के इस अध्यादेश का जमकर विरोध किया। डॉक्टर ने बताया कि एक एमबीबीएस डॉक्टर को 12 साल पढ़ाई करना पड़ती है। जबकि एक आयुर्वेदिक डॉक्टर 4 साल पढ़ाई कर डॉक्टर बनता है। दोनों में बहुत अंतर है। लेकिन सरकार दोनों को समान अधिकार देने जा रही है।

आई एम ए के अध्यक्ष डॉ कात्यायन मिश्रा के अनुसार इस आदेश से मरीजों की समस्या ज्यादा बढ़ जाएगी। क्योंकि आयुर्वेदिक डॉक्टर के उपचार से ठीक नहीं होने पर मरीज को दोबारा एमबीबीएस डॉक्टर से उपचार कराना पड़ेगा। ऐसे में सरकार को सभी बातों को ध्यान में रखकर इस अध्यादेश को वापस लेना चाहिए। हम सभी डॉक्टर इस आदेश का विरोध कर रहे है।

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