नगर निगम के जोन अधिकारी द्वारा बच्छराज कांप्लेक्स की तीसरी मंजिल पर हो रहे निर्माण को अवैध मानकर इसे हटाने का नोटिस जारी किया कांप्लेक्स के तीसरे फ्लोर पर 6 फ्लैट बनाए जा रहे है। वर्ष 2000 में बच्छराज ट्रस्ट द्वारा कांप्लेक्स का निर्माण किया गया था कांप्लेक्स के भू-तल और पहली मंजिल पर बनी दुकानों और ऑफिस का 2001 में सौदा हुआ। इसके बाद यहां दुकानें और ऑफिस खरीदने वाले व्यापारी संपत्ति का नामांतरण कराने नगर निगम पहुंचे तो पता चला कि पूरे कांप्लेक्स पर ही 19 लाख रूपए का संपत्तिकर बकाया है। इस रकम को नहीं चुकाने के एवज में नगर निगम ने कुछ खाली दुकानों की कुर्की भी की थी। बकाया संपत्तिकर जमा नहीं होने की वजह से पिछले 20 साल से 20 से ज्यादा व्यापारियों के नामांतरण नगर निगम के पास लंबित है। अब दोबारा से ट्रस्ट से जुड़े लोगों ने इसी कांप्लेक्स की तीसरी मंजिल पर 6 फ्लैट बनाने का काम शुरू किया है। पिछले लगभग 2 महीने से यह काम जारी है। बच्छराज कांप्लेक्स में दुकानें लेने वाले व्यापारियों ने ही सीएम हेल्पलाइन पर इसकी शिकायत की थी। इनका पक्ष है कि संपत्तिकर बकाया होने की स्थिति में जब उनके नामांतरण रूके पड़े है तो फिर उसी बिल्डिंग में निर्माण की अनुमति कैसे जारी की जा सकती है। संभागायुक्त सह नगर निगम प्रशासक संदीप यादव के कार्यालय में भी इस मामले की शिकायत की गई थी खुद नगर निगम के ही अधिकारियों ने यह स्वीकार किया कि कांप्लेक्स की तीसरी मंजिल पर किसी तरह की अनुमति जारी नहीं की गई है। यहीं वजह रही कि बुधवार को जोन क्रमांक 3 से बच्छराज ट्रस्ट के नाम पर नगर निगम एक्ट की धारा 307 के तहत नोटिस जारी कर ट्रस्ट से निर्माण संबंधी दस्तावेज तलब किए गए है।