इस बार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की अक्षय तृतीया 10 मई पर अलग-अलग प्रकार का योग संयोग बन रहे है। शुक्रवार रोहिणी नक्षत्र का संयोग होने से यह शुक्र रोहिणी के योग का अनुक्रम बना रहा है। धर्मशास्त्रीय मान्यता के अनुसार जब कोई भी बड़ा पर्व या त्योहार किसी विशेष नक्षत्र और दिवस की उपस्थिति में आता है तो उसकी प्रबलता व पुण्यता बढ़ जाती है।
पं. अमर डिब्बेवाला ने बताया कि शुक्रवार के दिन रोहिणी नक्षत्र का होना श्रेष्ठ माना जाता है। चंद्र संचार की गणना से देखें तो इस दिन चंद्रमा वृषभ राशि में विद्यमान रहेंगे जिसका अधिपति शुक्र है और शुक्र का ही नक्षत्र है रोहिणी है। इस दृष्टि से यह उच्चता की ओर ले जाता है। इस दिन किया गया कोई भी पुण्य कार्य सफलता के साथ-साथ पद वृद्धि भी करवाएगा। मान्यता है कि इस दिन कोई भी धार्मिक कार्य या पुण्य अक्षय होता है। सूर्य, सोम, यम, काल ये चार विशेष माने जाते है। इस दिन वृषभ राशि पर सूर्य, गुरु, शुक्र यह तीन ग्रह गोचर करेंगे। ऐसे में स्वर्ण, रजत, ताम, अन्न, धन, वस्त्र आदि दान करने से विशेष धन की प्राप्ति व पद की प्राप्ति होती है।
भगवान विष्णु व पितरों के लिए ऐसे करें घट का दान
अक्षय तृतीया पर विशेष तौर पर भगवान विष्णु व अपने पितरों के निमित्त दो मिट्टी के घड़े जल से भरकर साफ स्थान पर पूर्व दिशा में स्वास्तिक बनाकर ऊपर चावल और एक में गेहूं का उपार्जन करे। दोनों मिट्टी के घड़े में पानी भरकर पंचामृत डालें। एक घट भगवान विष्णु का रहेगा एक घट अपने पितरों का रहेगा। भगवान विष्णु के घट में एक मु_ी जौ और पितरों के घट में एक मु_ी काले तिल के साथ ही सफेद मोगरे के पुष्प डालकर खरबूजे से उसे पूर्ण पात्र रूप में स्थापित कर देना है। दोनो घट का पूजन कर संकल्पों से ब्राह्मणों को घट का दान करे। इसके साथ वस्त्र, पात्र, धान्य भी दान देवें। यह करने से पितरों का मोक्ष होता है, उन्हें विष्णु लोक की प्राप्ति होती है। परिवार में सुख शांति के साथ में वंश वृद्धि होती है और आर्थिक समस्या का निराकरण होता है।
प्याऊ लगाने का विशेष महत्व
भागवत महापुराण के अनुशासन पर्व के आधार पर इस दिन विशेष तौर पर वैशाख मास में पानी पिलाने का विशेष प्रभाव और पुण्य प्राप्त होता है। इस दिन धर्मस्थलों, शिवालयों, घाटों, तीर्थ स्थान, मार्गो में जल की प्याऊ लगाना बहुत पुण्य फल देने वाला माना जाता है। यही नही पशु पक्षियों के लिए भी जल के सकोरे भर कर रखने से पुण्य की प्राप्ति होती है।