राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के विचारक और पहले आधिकारिक प्रवक्ता माधव गोविंद वैद्य का शनिवार को 97 साल की उम्र में निधन हो गया। वे पिछले कुछ समय से बीमार थे। उनके परिवार में पत्नी, तीन बेटियां और 5 बेटे हैं। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने सोशल मीडिया पर उन्हें श्रद्धांजलि दी।

कोरोना से ठीक हो चुके थे
उनके पोते विष्णु वैद्य ने बताया कि उनका निधन शनिवार दोपहर 3:35 बजे हुआ। वे कोरोना से संक्रमित भी हुए थे, लेकिन इससे उबर चुके थे। शुक्रवार को अचानक उनकी हालत बिगड़ गई। इसके बाद उन्हें निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। यहीं उन्होंने अपनी आखिरी सांस ली। उन्होंने बताया कि वैद्य का अंतिम संस्कार रविवार को किया जाएगा। अंतिम दर्शन के लिए उनके पार्थिव शरीर को नागपुर में उनके निवास पर रखा गया है।

वैद्य संस्कृत के लेक्चरर भी थे
एमजी वैद्य RSS के कई सालों तक प्रवक्ता रहे और कई दूसरे अहम पदों पर भी रहे। वे लंबे समय तक एक क्रिश्चियन कॉलेज में संस्कृत के लेक्चरर भी थे। उन्हें अपनी बेबाकी के लिए जाना था। अटल बिहारी बाजपेई की सरकार के दौरान उन्होंने कई बार केंद्र पर सवाल भी उठाए थे।

गडकरी के लिए भाजपा पर सवाल उठाए थे
2013 में नितिन गडकरी के दोबारा भाजपा अध्यक्ष नहीं बन पाने पर वैद्य ने कहा था कि गडकरी भाजपा की अंदरूनी साजिश के शिकार हुए हैं। उन्होंने संदेह जताया था कि भाजपा में जो लोग गडकरी का विरोध कर रहे हैं, उनमें और यूपीए सरकार में साठगांठ है। ये नेता ही गडकरी के खिलाफ मीडिया को सामग्री उपलब्ध कराने में मददगार बने।

सभी सरसंघचालकों के साथ काम किया
एक करीबी पारिवारिक मित्र बैरिस्टर विनोद तिवारी ने बताया, ‘वैद्य संगठन के उन खास लोगों में हैं, जिन्होंने 95 साल के RSS के सभी सरसंघचालकों के साथ काम किया है। इसमें इसके संस्थापक केबी हेडगेवार, प्रभारी प्रमुख एलवी प्रांजपे, एमएस गोलवलकर, एमडी देवरास, राजेंद्र सिंह, केएस सुदर्शन और मौजूदा प्रमुख मोहन भागवत शामिल हैं।

एक अन्य करीबी सहयोगी किशोर तिवारी ने कहा, ‘RSS के सभी सरसंघचालक न केवल उनकी इज्जत करते थे, बल्कि लगातार उनसे विभिन्न मुद्दों पर राय लेते थे।’

कोश्यारी ने दुख जताया
महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने कहा कि वह वैद्य के निधन से काफी दुखी हैं, जोकि एक संपादक, राष्ट्रवादी, विद्वान और विचारक थे। भाजपा के विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने उन्हें एक बुद्धिमान व्यक्ति और ज्ञान का सागर, संस्कृत का विद्वान बताया। उन्होंने कहा कि उनका जाना देश के लिए एक बड़ा नुकसान है।

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