राजस्व विभाग द्वारा घर खाली करने का नोटिस दिए जाने के बाद विनोद मिल के 130 श्रमिक परिवारों आक्रोशित हो गए। शनिवार को रहवासियों ने चामुंडा चौराहे पर प्रदर्शन किया। इस दौरान बड़ी संख्या में महिला पुरुष ने प्रदर्शन करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से रहवासियों के घरों को मालिकाना हक देने का वादा याद दिलाते हुए गुहार लगाई है।

 

विनोद मिल श्रमिक के परिवार वाले मकानों पर बेदखल करने के लिए चस्पा हुए नोटिस को लेकर आक्रोशित हैं। इन लोगों ने सुबह 11 बजे चामुंडा माता मंदिर चौराहा पर प्रदर्शन किया। मामले में राज्य सरकार पर मनमानी का आरोप लगाते हुए विरोध दर्ज कराया गया। लोगों ने बताया कि पिछले दिनों मुख्यमंत्री को ज्ञापन दिया था, तब उन्होंने कहा था कि पहले वैकल्पिक स्थान दिलवाया जाएगा, उसके पश्चात कार्रवाई की जाएगी। अब 3 दिन में अतिक्रमण हटाने का नोटिस जारी किया गया है। क्षेत्र में करीब 150 परिवार रहते हैं। प्रदर्शन कर रही महिला ने कहा- हम यही मर जाएंगे, लेकिन किसी भी कीमत पर घर नहीं छोड़ेंगे।

एक नवंबर तक मकान खाली करने का समय

तहसीलदार राधेश्याम पाटीदार ने बताया कि नोटिस में सभी को 1 नवंबर तक मकान खाली करने का वक्त दिया है। इसके बाद जैसे आदेश होंगे, वैसी कार्रवाई की जाएगी।

अब तक ये हुआ

वर्ष 1996 में कपड़ा बनाने वाली विनोद मिल बंद हो गई थी। इसके अगले ही साल मजदूरों ने अपना बकाया वेतन, ग्रेच्युटी आदि का पैसा पाने के लिए कोर्ट में याचिका दायर कर दी थी। वर्ष 2017 में हाईकोर्ट और फिर 27 फरवरी 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने मिल मजदूरों के हक में फैसला सुनाया था, जिसमें मध्यप्रदेश सरकार 27 फरवरी 2020 तक मिल मजदूरों को उनकी बकाया राशि का भुगतान 4 फीसदी ब्याज के साथ करें। शासन को मिल की 18.018 हेक्टेयर (44.523 एकड़) जमीन का आधिपत्य भी सौंपा गया था। फैसले के बाद शासन ने अस्पताल के लिए 4900 वर्ग मीटर जमीन छोड़ शेष जमीन नीलामी करने का प्रयास किया। नीलामी के लिए जमीन के पार्सल के रूप में 9 टुकड़े किए। पार्सल क्रमांक 8 और 9 आसानी से 19 करोड़ 40 लाख रुपये में बिक गया। पार्सल क्रमांक 6 वाली 22,245 वर्ग मीटर जमीन, जिसकी न्यूतनम बोली 91 करोड़ 3 लाख रुपये थी, पिछले साल तीन बार निविदा निकालने पर भी नहीं बिकी।

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