निजी कंपनी द्वारा बदली गई शहर की स्ट्रीट लाइट के मेंटेनेंस और ऑपरेटिंग के मामले में कंपनी की कार्यप्रणाली ठीक नहीं होने का मामला दिल्ली पहुंच गया है। इसके लिए नगर निगम विद्युत एवं यांत्रिकी विभाग के एमआईसी प्रभारी रजत मेहता ने केंद्रीय विद्युत/उर्जा मंत्रालय के मंत्री को पत्र लिखा है। दरअसल उज्जैन स्मार्ट सिटी कंपनी ने ईईएसएल कंपनी से शहर में अधिक रोशनी और कम बिजली खपत वाली 24,557 एलईडी स्ट्रीट लाइट लगाने का मेमोरंडम आफ अंडरस्टेंडिंग (एमओयू) साइन किया था। इसके तहत 36,48,96 वॉट की लाईट और सोडियम वेपर लैंप को निकालकर एलईडी का उपयोग करना था। इसका संचालन भी नगर निगम नहीं स्मार्ट सिटी का कमांड एंड कंट्रोल सेंटर से होना था। स्ट्रीट लाइट चालू और बंद करने के लिए ऑटोमेटिक स्विच सीसीएमएस लगाने थे।

 

ईईएसएल कंपनी ने इसके लिए 21 करोड़ रुपए लेने थे। सभी लाइट का सात साल तक मेंटेनेंस भी करेगी। यानी कोई खराब हुई तो उसे बदलेगी भी। मगर शहर की सड़कों पर छाया अंधेरा आने वाले दिनों में शहर की स्ट्रीट लाइट बदलने वाली उज्जैन स्मार्ट सिटी कंपनी से अनुबंधित एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड (ईईएसएल) कंपनी को भारी पड़ सकता है। नगर निगम उज्जैन एमआईसी के सदस्य और विद्युत एवं यांत्रिकी समिति के प्रभारी रजत मेहता ने केंद्रीय विद्युत नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह को एक पत्र भेजा है। इसमें शहर स्ट्रीट लाइट बदलने वाली ईईएसएल कंपनी की कार्यप्रणाली को लेकर शिकायत की है। केंद्रीय मंत्री को लिखे पत्र में बताया गया है कि ईईएसएल कंपनी की कार्यप्रणाली संतोषजनक नहीं है। उसके द्वारा लगाए गए उपकरण बार-बार खराब हो रहे हैं। वही लाइट बंद, चालू होने के लिए स्थापित ऑटो मेटिक स्विच सीसीएमएस का मेंटेनेंस भी सही तरीके से नहीं किया जा रहा है। यह कार्य नगर निगम के कर्मचारियों को मैन्युअली करना पड रहा हैं।
ईईएसएल कंपनी ने स्ट्रीट लाइट के मेंटेनेंस और ऑपरेटिंग को पूरी तरह से अपने हाथ में नहीं लिया है। वहीं कंपनी के पास संसाधन भी नहीं है।

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